Kalidas ka Jivan Parichay in Hindi | कालिदास का जीवन परिचय | kalidas biography in hindi | महाकवि कालिदास की रचनाएं | महाकवि कालिदास भाव पक्ष, कला पक्ष साहित्य में स्थान | कालिदास जी का जन्म | कालिदास जी के माता पिता का नाम | Kalidas ki rachana bhav paksh kala paksh sahitya me sthan |
कालिदास का जीवन परिचय
कालिदास जी को सर्वश्रेष्ठ कवियों में से माना जाता है और यह संस्कृत भाषा के सबसे बड़े विद्वान के रूप में भी जाने जाते हैं महाकवि कालिदास काली जी के सर्वश्रेष्ठ भक्तों में से एक थे।
महाकवि कालिदास का जन्म 150 ईसवी पूर्व से 400 ईसा पूर्व के बीच में हुआ था ऐसा माना जाता है लेकिन इनके जन्म के विषय में अलग-अलग विद्वानों ने अलग-अलग राय रखी है इनके बारे में जन्म के बारे में कोई ठोस प्रमाण स्थित नहीं है।
कुछ विद्वान के जन्म के बारे में बताते हैं कि इनका जन्म उज्जैन में हुआ था कालिदास जी मन बुद्धि के थे उनका विवाह राजकुमारी विद्युतमां से हुआ था राजकुमारी विद्योत्तमा को अपने ज्ञान और बुद्धि पर बहुत ही घमंड था।उन्होंने शर्त रखी थी कि जो सबसे बड़ा शास्त्रों का जाने होगा उसी से वहां विवाह करेगी उसके लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की गई थी जिसमें कालिदास जी ने मौन रहकर सारे जवाबों का जवाब दिया था तथा इसके बाद विद्योत्तमा का विवाह कालिदास जी से हो गया था।
Kalidas Ka Jivan Parichay in Hindi
इसके उनकी पत्नी ज्ञात हुआ कि कालिदास जी मूर्खता मन बुद्धि के है इसलिए उन्होंने कालिदास जी को कल से बाहर निकाल दिया था और कहा था कि जब तक तुम पंडित या महान विद्वान ना बन जाओ तब तक घर वापस मत आना यही बात की वजह से कालिदास जी घर छोड़ कर चले गए और संकल्प लिया कि जब तक पंडित या महान विद्वान नहीं बन जाते जब तक घर वापस नहीं आएंगे।
इसके बाद कालिदास जी ने काली जी की उपासना शुरू की और उन्होंने काली जी के आशीर्वाद से ही शास्त्र शिक्षा का ज्ञान प्राप्त किया और एक महान साहित्य विद्वान व पंडित बन गए।
साहित्य विद्वान एवं पंडित बनने के बाद कालिदास जी अपने घर वापस गए और अपने घर के सामने खड़े होकर अपनी पत्नी को आवाज लगाई जिसे सुनकर उनकी पत्नी को यह ज्ञात हो गया कि घर के बाहर महान विद्वान या पंडित या परम ज्ञानी व्यक्ति ही आए हैं।
इसके बाद इन्हें सर्वश्रेष्ठ कवियों में से एक जाना जाने लगा और यह राजा विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्न में से एक थे तथा इन्होंने श्रंगार रस का अपनी रचनाओं में इतनी चतुराई एवं स्पष्ट तरीके से उपयोग किया है कि जो भी इनकी रचनाएं पढ़ता है वह व्यक्ति भाव मुक्त हो जाता है इनकी रचनाओं का मुख्य आधार पौराणिक कथाएं है उनकी सबसे अधिक लोकप्रिय और प्रसिद्ध रचना अभिज्ञान शाकुंतलम् है।
इस प्रकार कालिदास जी के जीवन में अनेकों प्रकार की समस्या तो आई और इसके साथ ही उन्होंने अपने जीवन में अनेकों उपलब्धियां भी हासिल की इसके बाद उनकी मृत्यु हो गई उनकी मृत्यु के विषय में भी अलग-अलग विद्वानों का अलग-अलग मत है जिस प्रकार उनके जन्म के बारे में अलग-अलग विद्वानों का अलग-अलग मत था।
कालिदास का जीवन परिचय
कालिदास जी की रचनाएं भाव पक्ष कला पक्ष और साहित्य में स्थान
महाकवि कालिदास की रचनाएं
- अभिज्ञान शाकुंतलम्
- ऋतुसंहार
- कुमारसंभव
- सेतु काव्यम
- मालविकाग्निमित्रम्
- मेघदूत रघुवंश
भाव पक्ष –
महाकवि कालिदास संस्कृत भाषा के महान कवियों में से एक थे इन्हें काली के भक्तों के रूप में भी जाना जाता हैयह विक्रमादित्य के दरबार में नवरत्नों में से एक थे इनके जीवन की सभी घटनाओं के माध्यम से हमें अलग-अलग दिशा निर्देश मिलते हैं इनका जीवन की घटनाएं एक वीर पुरुष की तरह ही है इसके अलावा उन्होंने प्रकृति का सौंदर्य का वर्णन भिन्न की रचनाओं में मिलता है जिसे पढ़कर व्यक्ति व्यक्ति आत्मा विभोर हो जाता है उन्होंने प्रेम प्रकृति चित्रण का अद्भुत एवं अमूल्य चित्रण किया है।
कला पक्ष –
महाकवि कालिदास जी की मुख्य भाषा संस्कृत भाषा थी इन्होंने अपनी भाषा में श्रंगार रस के साथ प्रसाद गुण का भी वर्णन मिलता है इनकी भाषा में शब्द अलंकार उपमा अलंकार जैसे विशेष अलंकार भी देखने को मिलते हैं इनकी भाषा सरल एवं सहज है इसके अलावा उनके काव्य में वर्णनात्मक एवं भावात्मक शैली का भी वर्णन मिलता है।
साहित्य में स्थान –
महाकवि कालिदास जी ने खंड कामा गांव जैसे महान ग्रंथों की रचना की है जिसके लिए साहित्य में इन्हें विशेष स्थान प्राप्त है तथा इन्हें शेक्सपियर की उपाधि से भी सम्मानित किया गया है इनका नाम हिंदी साहित्य में इनके महाकाव्य खंडकाव्य के लिए हमेशा आदर एवं सम्मान के साथ लिया जाता है।