साहित्य और समाज पर निबंध | Sahitya our Samaj Par Essay in Hindi | साहित्य और समाज का संबंध | Sahitya our samaj Essay in hindi | साहित्य समाज का दर्पण है निबंध इन हिंदी | Essay on Sahitya our Samaj in Hindi | Sahitya our Samaj Par Nibandh 2022 | साहित्य और समाज पीडीएफ | Sahitya aur Samaj Par Nibandh |
साहित्य और समाज पर निबंध
रूपरेखा –
- प्रस्तावना
- साहित्य क्या होता है
- समाज क्या है
- समाज और साहित्य का संबंध
- साहित्य का समाज में महत्व
- समाज का साहित्य में महत्व
- उपसंहार
प्रस्तावना :- साहित्य और समाज दोनों का ही मानव जीवन में महत्वपूर्ण योगदान रहा है साहित्य और समाज दोनों एक दूसरे के बगैर अधूरे माने जाते हैं साहित्य और समाज दोनों तभी होंगे तब जब दोनों साथ हो साहित्य के बिना समाज और समाज के बिना साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती साहित्य में समाज का चित्रण किया जाता है उनके विचारों को व्यक्त किया जाता है एवं उसमें अनेकों प्रकार के कठिनाई समस्याओं आने वाली विपत्तियों आदि का चित्रण किया जाता है जो आने वाले समाज को इस से अवगत कराता है।
तथा समाज भी साहित्य से इन चीजों को सीख कर अपने जीवन में सुधार और आगे बढ़ने का प्रयास करता है तथा आने वाली समस्याओं पर विचार करता हैइसीलिए साहित्य को समाज का दर्पण भी कहा जाता है क्योंकि साहित्य में समाज का संपूर्ण चित्रण होता है यह दर्पण की तरह केवल अच्छाई ही नहीं बल्कि समाज की समस्याओं कुरीतियां प्रथाओं सभी के बारे में चित्रण किया जाता है इसीलिए समाज और साहित्य को एक दूसरे के समरूप माना जाता है।
साहित्य और समाज पर निबंध pdf
साहित्य क्या होता है :- साहित्य वह है जिसमें साहित्यकार समाज में होने वाले विभिन्न घटनाओं को अपने अनुरूप चित्रण करता है समाज की समस्याओं तथा कुरीतियां आदि को साहित्य में लिखता है जिससे आने वाले समाज को इससे परिचित कराया जा सके और आने वाली समस्याओं का समाधान किया जा सके साहित्यकार समाज में होने वाले परिवर्तन क्रांति या विभिन्न कुरीतियां आदि आदि को अपने साहित्य में लिखता है।
जो भविष्य के समाज को प्रेरणा और वर्तमान समाज से अवगत कराता है साहित्य में समाज के हितों का वर्णन किया जाता है साहित्यकार अपने विचारों को भाव को साहित्य में लिखता है जिससे कि समाज में उनके विचारों और भावों का प्रचार होता है इससे समाज कठोर बनता है एवं समाज में एक सकारात्मक विकास होता है इस प्रकार साहित्य के द्वारा ही प्राचीन समाज मध्यकालीन समाज और वर्तमान समाज का अध्ययन किया जा सकता है।
समाज क्या है :-
जहां पर अनेकों मनुष्य मिलकर रहते हैं अनेकों मनुष्य मिलकर परिवार बनता है परिवार से मिलकर गांव समाज का निर्माण होता है एवं अनेकों परिवारों मनुष्यों के समूह को हम समाज के आते हैं समाज में विभिन्न परंपराएं रीति रिवाज एवं समस्याएं होती है इस समस्याओं को साहित्यकार अपने साहित्य में चित्रित करता है।और अपने विचारों को लिखता है जिससे समाज में एक नए परिवर्तन आता है और समाज में आने वाली समस्याओं कुरीतियां आदि को खत्म करने के लिए अपने विचारों को व्यक्त करके लोगों को जागरूक करने का कार्य किया जाता है।
समाज और साहित्य का संबंध :-
समाज और साहित्य का संबंध अटूट है एवं इन दोनों की एक दूसरे के बिना कल्पना नहीं की जा सकती साहित्य में समाज का हित होता है एवं समाज साहित्य से अछूता नहीं हैसाहित्य समाज का आत्मा और शरीर के जैसा संबंध है यदि साहित्य आत्मा है तो समाज शरीर है इसीलिए कहा जाता है कि समाज और साहित्य एक दूसरे से अछूते नहीं हो सकते।
साहित्य के द्वारा ही समाज को एक नई सोच नई उर्जा और प्रेरणा मिलती है साहित्य पर समाज में होने वाले परिवर्तन घटनाओं आदि का असर पड़ता है साहित्य ने समाज को हमेशा एक अच्छा और नया रास्ता दिखाने का कार्य किया है।
साहित्यकारों ने साहित्य के माध्यम से अपने क्रांतिकारी विचारों को समाज में प्रसारित किया इसी का कारण यह है कि आज हम स्वतंत्र देश में रहते हैं तथा समाज ना होता तो एक आदर्श साहित्य की कल्पना नहीं की जा सकती थी।
वह साहित्य जिसमें समाज के विभिन्न भागो समस्याओं कुरीतियां प्रथाओं उनके जीवन यापन आदि का वर्णन नहीं मिलता उसे हम साहित्य की श्रेणी में नहीं गिनते हैं| अतः हम यह कह सकते हैं कि समाज और साहित्य को एक दूसरे से अलग अलग कर पाना संभव नहीं है।
साहित्य का समाज में महत्व :-
साहित्य का समाज में महत्वपूर्ण योगदान है साहित्य समाज को एक नई दिशा एवं अच्छे समाज का मार्गदर्शन करने का कार्य करता है साहित्य के द्वारा ही समाज की विभिन्न कुरीतियां प्रथा आदि को खत्म करने के लिए साहित्य महत्वपूर्ण योगदान देता है।
साहित्य में समाज कोउनके द्वारा की गई गलतियां कमियां आदि को वर्णित करके उससे से छुटकारा दिलाने में महत्वपूर्ण योगदान देता है साहित्य ही एक उच्च और समृद्ध समाज की कल्पना करने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
यह वर्तमान में होने वाली विभिन्न घटनाओं कुरीतियों प्रथा व समस्याओं आदि को आने वाले समाज को अवगत कराता है जिससे कि आगे आने वाले समाज को इससे परिचित करा कर इन सभी समस्याओं के समाधान के लिए पहले से ही अवगत करा सके इस प्रकार अनेकों महत्त्व है जो साहित्य का समाज में होता है।
समाज का साहित्य में महत्व :-
जिस प्रकार साहित्य का समाज में महत्व है उसी प्रकार समाज का साहित्य में भी महत्व है यदि समाज नहीं हुआ तो साहित्य की रचना नहीं की जा सकती साहित्य समाज के बिना अधूरा है साहित्य में समाज के विभिन्न परिस्थितियों समस्याओं आदि का वर्णन किया जाता है और साहित्यकार अपने विचारों को प्रकट करके इन सभी से लड़ने के लिए समाज को प्रेरित करता है ताकि एक उच्च समाज एवं समृद्ध समाज की कल्पना की जा सके इस प्रकार समाज का साहित्य में महत्वपूर्ण योगदान है।
साहित्य की विशेषता :-
साहित्य की विशेषता यह है कि इसमें समाज के विभिन्न परिस्थितियों का वर्णन किया जाता है इसमें समाज को सही दिशा में ले जाने का दम होता है साहित्यकार अपने भाव और विचारों से समाज को एक प्रेरणा देने का कार्य करता है मनुष्य को अपने जीवन में सुधार करके एक अच्छा एवं उच्च जीवन जीने के लिए प्रेरित करता है साहित्य का मुख्य उद्देश्य समाज का विकास और देश का विकास होता है।
समाज की विशेषता :-
किसी भी समाज की विशेषता यह होती है कि वह अपने अतीत की परेशानियों से सीख ले कर नए समाजकी रचना करें तथा पुराने रीति रिवाज कुरीतियां प्रथा आदि का त्याग करके एक उच्च एवं अक्षर समाज के निर्माण करें तभी एक उच्च और अच्छा समाज की कल्पना की जा सकती है और यह सभी के लिए साहित्य हमें प्रेरित करता है एवं अच्छे समाज के मार्गदर्शन का भी कार्य करता है।
उप संहार :- समाज और साहित्य के बीच ऐसा संबंध है कि इन दोनों को अलग कर पाना संभव नहीं है इन दोनों का मानव जीवन में महत्वपूर्ण योगदान होता है साहित्य कि हमें अतीत के समास समस्याओं तथा कुरीतियां आदि से परिचित कराता है साहित्यकार साहित्य की रचना मानव कल्याण को आधार बनाकर ही करता है ताकि वह मानव कल्याण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे सके इस प्रकार साहित्य और समाज एक दूसरे के पूरक होते हैं।
अतः साहित्य और समाज दोनों की कल्पना एक दूसरे के बिना नहीं की जा सकती।
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