Jaishankar prasad ka jivan parichay/जयशंकर प्रसाद जीवन परिचय/ रचनाएं, भाव पक्ष, कला पक्ष, साहित्य में स्थान/
कक्षा 9वी 10वीं 11वीं 12वी की परीक्षाओं में यह जीवन परिचय पूछे जाते हैं इसलिए हमने इस पोस्ट में आपके लिए आसान एवं सरल भाषा में जीवन परिचय तैयार किया है ताकि आप इसे आसानी से पढ़ सके और परीक्षा में इसे लिख सके आशा करते हैं कि आपको जहां जीवन परिचय अच्छा लगेगा।
- रामधारी सिंह दिनकर जीवन परिचय
- जयशंकर प्रसाद जीवन परिचय
Jaishankar Prasad ka Jivan parichay
रामधारी सिंह दिनकर जीवन परिचय
रचनाएं :-
द्वंदगीत, नील कुसुम, कुरुक्षेत्र, रेणुका, रसवंती, उर्वशी, रश्मिरथी|
भाव पक्ष :-
दिनकर जी के स्वर में राष्ट्रीयता का गुणगान है एवं उन्होंने वर्तमान स्थिति में दुख अवस्था का वर्णन किया है| तथा उन परिस्थितियों के प्रति विद्रोह के स्वर ही प्रकट किए हैं| उन्होंने रचना रेणुका में प्रेम और सौंदर्य का अभूतपूर्व चित्रण किया है उन्होंने शोषित व्यक्तियों के प्रति सहानुभूति व्यक्त की है एवं शोषण के विरुद्ध आवाज भी उठाई है| उदाहरण के लिए “हटो स्वर्ग के मेघ पंत से स्वर्ग लूटने हम आते|
कला पक्ष :-
दिनकर जी की भाषा शुद्ध खड़ी बोली है| उनकी भाषा संस्कृत एवं भाव अनुकूल है| उन्होंने उर्दू अंग्रेजी फारसी शब्दों का भी प्रयोग किया है| उन्होंने धृष्टता उपमा उत्प्रेक्षा अलंकार का सफल प्रयोग किया| छंद उन्होंने अपने काव्य में मुक्तक छंद मात्रिक छंद एवं सभी प्रकार के छंदों का प्रयोग किया है| कवित्त सवैया और दोहा छंदों का भी प्रयोग हुआ है|
साहित्य में स्थान :-
कवि ने शोषित वर्ग के प्रति सहानुभूति ,पूंजीवाद के प्रति को क्रोध एवं विश्व के प्रति प्रेम दिखाएं दिखाया है| एवं इनके स्वर में देशभक्ति की झलक भी दिखाई देती है|
Ramdhari singh dinkar ka jivan parichay/रामधारी सिंह दिनकर जीवन परिचय/रचनाएं, भाव पक्ष, कला पक्ष, साहित्य में स्थान/
Ramdhari Singh dinkar ka jivan parichay जयशंकर प्रसाद जीवन परिचय
रचनाएं :-
करुणालय,महाराणा का महत्व, झरना, आशु,लहर, चित्र आधार, कानन कुसुम, प्रेम पथिक|
भाव पक्ष :-
दिनकर जी प्रेम और सौंदर्य के उपासक थे| उन्होंने विश्व की हर वस्तु के सुंदर का वर्णन किया है उनका यह प्रेम विराट है और सारी प्रकृति को समेटे हुए हैं| जय शंकर जी दार्शनिक कवि है उनकी कविता में अनुभूतियों की गहराई परिलक्षित होती है एवं प्रकृति के कण-कण में रहस्यमई सत्ता का वर्णन किया है| इन्होंने प्रकृति का चित्रण सभी रूपों में किया है उन्होंने नारी को पर्याप्त सम्मान दिया है|
कला पक्ष :-
प्रसाद जी की भाषा खड़ी परिष्कृत है संस्कृत के शब्दों का भी प्रयोग किया है| एवं उनके भाव सरल और गंभीर भी है अलंकारों का प्रचुर मात्रा में प्रयोग किया है, उन्होंने नए-नए छंद को अपनाया है, साथ ही परंपरागत चंदू का भी प्रयोग किया है|
साहित्य में स्थान :-
प्रसाद जी को साहित्य में बड़ी उपलब्धि हासिल हुई है इन्हें गिने-चुने आधुनिक श्रेष्ठ साहित्यकारों में गिना जाता है इन्हें कामायनी तुलसी और रामचरितमानस के बाद सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल है|
कक्षा 9वी से लेकर कक्षा बारहवीं तक मध्य प्रदेश बोर्ड द्वारा जीवन परिचय पूछे जाते हैं|
जो आपके लिए हमने तैयार किया है आशा करते हैं कि आपके लिए यहां उपयोगी होगा|
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